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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

कुछ शख्श मिले - अशोक कुमार पचौरी


चला,रुका,
फिर चला,
यह शिलशिला,
यूँ ही चला,
न चल सका,
न रुक सका,
ऐसे ही चलता रहा,
कुछ शख्श मिले,
कुछ कह गए,
कुछ ध्यान दिया,
कुछ नहीं दिया,
थोड़ा सा सुना,
और नहीं सुना,
कुछ वक्त मिला,
आराम किया,
कुछ काम किया,
पर कर न सका,
जहाँ जाना था,
वहाँ जा न सका,
जहाँ आना था,
वहाँ आना सका,
कुछ शिकवे गिले,
पर कुछ भी नहीं,
कुछ भूल गया,
कुछ याद रखे,
याद रखे ये अच्छा किया,
याद रखे बस याद रखे,
कुछ कठिनाई,
सामने आयी,
पर कुछ न थी,
सब वहम ही था,
कुछ शब्द मिले,
उन्हें लिख न सका,
कुछ हर्फ़ मिले,
उन्हें पढ़ न सका,
कुछ दुआ मिली,
वो काम आयीं,
काम आयीं कहाँ,
यह पता नहीं,
कुछ गलत किया,
पर कुछ भी नहीं,
हाँ कुछ तो था,
जो पता न चला,
कुछ राह मिलीं,
उन्हें चल न सका,
कुछ आह मिलीं,
उन्हें ले न सका,
कुछ साथी थे,
हाँ बस थे,
वो भी न रहे,
जाने कहाँ गए,
कुछ लम्हे थे,
उन्हें भूल गया,
कुछ यादें थीं,
पर कुछ न थीं,
कुछ तो थीं,
पर याद नहीं,
कुछ बातें थीं,
मुलाकाते थीं,
क्या थीं,क्यों थीं,
थीं भी तो क्यों,
होने का अफ़सोस रहा,
कुछ सिमटा सा हूँ,
कुछ आहत हूँ,
पर कुछ भी नहीं है,
जाने दो,
कुछ तो है,
अंदर अंदर,
क्या है, क्यों है,
कुछ न पता,
इस दुनिया में,
रहने की मुझे,
न वजह पता,
न जगह पता।

-अशोक कुमार पचौरी
(जिला एवं शहर अलीगढ से)



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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Lekhram Yadav said

सर अगर आप हमें अपना पता ठिकाना बता देते तो आपकी कविता को और मनमोहक बनाने में अवश्य मदद करते कि आपको जाना कहां था।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

यादव सर हम तो वहीं रहते हैं जहाँ चार लोग होते हैं चार कविता या गीत होते हैं और जहाँ कविता या ज्ञान की बातें हो रही होती हैं सारांश यह है कि आप जैसे ज्ञानी लोगों की कविताओं को पढ़ते हुए कहीं भी मिल जायेंगे

वन्दना सूद said

Actual mein nobody knows where to go and what to find 😊

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Aapka bahut bahut abhaar mam, aapne sach kaha...Pranam 🙏🙏

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