जीवन के हैं कितने रंग।
कई लड़ रहे जीवन का जंग।
कई के हुए पाॅकेट तंग।
कोई जीतता जग का ढंग।
कई के हुए प्रतिज्ञा भंग।
सब देखकर रह गए दंग।
किसी का जीवन है रंगारंग।
कोई पग-पग पर बहाए ज्ञान गंगा है।
एक-दूसरे से ठाना कोई पंगा है।
कोई सड़क पर पड़ा भूखा- नंगा है।
कई जीवन जी रहे बेढंगा है।
सब जीवन जी रहे दोरंगा है।
भले हमारा झंडा तिरंगा है।
पर जीवन हमारा सतरंगा है।
जीवन जैसे कोई पतंगा है।
- डाॅ.प्रियंका कुमारी