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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

शेरू और सिंड्रेला का सड़क से मेरी बिल्डिंग तक आना

नॉएडा में हम (मैं और मेरी पत्नी) दोनों, शाहबेरी में किराये के 2-BHK के फ्लैट में अपने 2 पालतू मादा स्वान बुल्लू और पॉली (जो की बुल्लू की बेटी है) के साथ रह रहे थे। सुपरटेक के मार्किट के चक्कर लगते रहे और मैं उन पिल्लों के साथ घुल मिल गया। उनमें से एक नर एवं एक मादा पिल्ला से मेरा बहुत अच्छा तालमेल बैठ गया, ऐसा लगता था कि वो मेरा ही इंतज़ार कर रहे होते हैं या यूँ कहें की मेरे जाने पर यदि वो मुझे दिखाई न दे तो मन में अजीब ख्याल आने लगते और उनके मिल न जाने तक उनको हर संभव जगह पर तलाश करता।

जब उनको मैं दिखाई देजाता तो वो हिरन की तरह उछलते कूदते मेरी तरफ दौड़ते और मेरे नीचे बगीचे की घास पर बैठ जाने पर मुझे इस तरह से घेर लेते जैसे मैं उनके लिए कोई खिलौना हूँ। शायद वो अपना प्रेम अभिव्यक्त करते थे या सच में मुझे खिलौना समझ मेरे ऊपर उथल पुथल करते थे। लेकिन जो भी था वो मुझे बहुत पसंद आता था। बचपन में माता पिता ने स्वान कहीं काट न ले, इस डर से कभी पिल्लों से खेलने नहीं दिया, और अब जब माता पिता से दूर अकेला रह रहा था तो मेरा बचपन जीवंत होरहा था। मैं अपने अंदर एक बच्चे जैसी अनुभूति कर पा रहा था।

समय बीत रहा था लगभग १ महीने के इस लगातार खेल कूद के बाद में हमें पता चला की मेरी पत्नी गर्भवती हैं - उनकी गायनी(महिला चिकित्सक) अलीगढ में जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में थी तो हमने विचार किया हम सारी जांचे वहीँ कराएँगे - इस विचार विमर्श के बाद में हमें यह निर्णय लेना पड़ा की बुल्लू और पॉली मेरी पत्नी के साथ अलीगढ चले जायँगे - क्यूंकि वो इतने ज्यादा चिपकू हैं की एक क्षण के लिए अकेले नहीं रह सकते उनको मेरे या पत्नी में से कोई एक हमेशा घर पर चाहिए अन्यथा की स्थिति में वो बहुत बुरी तरह से रट हैं एवं आस पड़ोस के लोग बहुत परेशान होते एवं फ्लैट ओनर से शिकायत कर फ्लैट ख़ाली करवाने पर उतारू होजाते।

उनके इस व्यवहार से हमें यहाँ तक करना पड़ा की मेरी पत्नी को अपना कार्य छोड़ना पड़ा और वो घर पर रहने लगीं - इस वजह से मेरी पत्नी विनय, बुल्लू और पॉली को लेकर अलीगढ चली गयीं।

बुल्लू, पॉली और पत्नी के चले जाने के बाद फ्लैट बहुत ख़ाली होगया, शाम को घर वापस आया तो मन नहीं लगा तो फिर बिल्डिंग के चौकीदार जिससे मेरी काफी पटरी खाती थी, को साथ लेकर स्कूटी से सुपरटेक मार्किट पिल्लों से खेलने चला गया, चौकीदार को वहां से डोसा लाना था क्यूंकि रात्रि काफी होचुकी थी और डोसा उस वक्त उस मार्किट के अलावा आसपास में कहीं और मिल नहीं सकता था तो वो मेरे साथ हो लिया।

चौकीदार डोसा पैक करवाकर मुझे ढूंढ़ते हुए स्कूटी के पास आया तो उसने भी उन पिल्लों को देखा - उसे उनमे से एक नर पिल्ला पसंद आगया और कहने लगा भाई इसे लेकर चलते हैं - यही नहीं उसने उस पिल्ले का वहीँ नामकरण भी कर दिया। वो शेरू शेरू कहते हुए उस पिल्ले को पालने के लिए लाने लगा, जब मुझे यकीं हुआ कि वह सच में लेकर जा रहा है तो वो पिल्ला अकेला न रहे या यु कहें कि मेरा भी मन लग जाये मेने भी अपनी पसंदीदा मादा पिल्ले को घर लेजाने का विचार कर लिया - उसके पश्चात मैंने भी उसका नामकरण कर डाला और उसे नाम दिया सिंड्रेला एवं दोनों को घर लेकर चले आये।

सिंड्रेला सुंदर भूरे रंग की मादा पिलिया थी एवं दोनों घर पर आकर भी बहुत खुस थे और उनके वहां होने से मेरा भी मन लगा रहता, दिन में चौकीदार उनकी देखभाल करता और रात्रि को मैं जब आता तो सिंड्रेला को अपने फ्लैट में लेजाता और वो बिलकुल बुल्लू की तरह व्यवहार करते हुए मेरे हाथ पर अपना मुंह रखकर सो जाती - उसके ऐसा करने से मुझे लगता की बुल्लू ही मेरे पास सो रही है और मुझे भी तभी नींद आती।

लेकिन हर किसी की ज़िन्दगी में सभी दिन उसी प्रकार से होते हैं जैसे की हाथ में उँगलियाँ होती हैं। सिंड्रेला आश्चर्यों और रोमांचों से भरी इस दुनिया में आई थी, लेकिन उसे क्या पता था कि उसकी यात्रा खुशी और दिल के दर्द दोनों से भरी होगी.....आगे जारी रहेगी.....


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

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शिवम् जी सहाय said

Bhut khub

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

Thank you very much sir ji 🙏🙏

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