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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

वफादारी का पहला नाम - स्वान - अशोक कुमार पचौरी


एक प्यारा जानवर
जिसको कुत्ता, स्वान
और न जाने किन किन
नामो से आप बुलाते हो
दुहाइयाँ भी देते हो
फिर भी नहीं अपनाते हो

न जाने कितनी जगह
आपकी, मेरी और बहुत सो की
दोपहिया, मोटर के नीचे
आ जाते हैं
क्यूकि हम तुम और बहुत से
देखकर नहीं चलाते हैं
कभी पैर टूटता है तो
बहुत बहुत बिलखाते हैं
कूँ कूँ कूँ कूँ सुनकर भी
हम , तुम और बहुत से
लौटकर देखना तक नहीं चाहते हैं।

बच्चों को सिखलाते हैं
स्वान निद्रा, वको ध्यानम,
सुदामा की मित्रता, कुत्तों की वफ़ादारी
न हम सुदामा बन पाते हैं
न वफ़ादारी निभा पाते हैं।
जब खुद ही नहीं अपना सकते
बच्चों से आस क्यों लगाते हैं।

बात चले पर कह देते हो
कुत्ता पालो पर
गलत फहमी नहीं
पर हर बात में
गलत फहमी पाल लेते हो
कुत्तों को मार भगाते हो
उनका रोना तुम्हे
अच्छा नहीं लगता
कहते हो अपसकुन हुआ
एक बार झांककर देखते
क्या पता भूखा हो
या हो दर्द उठा

मेरा मुझको पता है साथी
उनके दर्द में दर्द है मेरा
बुल्लू , पॉली , डेज़ी जैसे
तीन पालतू हैं मेरे साथी ।
चिंकी, मौटी, चिंकू , पिंकू
और अनगिनत रस्ते वाले
पूंछ हिलाते हैं मुझे देखकर
साथ में मेरा भाई भी
करवाता है देखभाल उनकी ।

आपका और बहुत सो का
अंदाजा में नहीं लगा सकता
उम्मीद यही है आपके भी
होंगे ऐसे बहुत से साथी

प्यार के भूखे प्यार बाँटते
कभी हाथ और पैर चाटते
उछाल कूद कंधे को आते
देखके तुमको पूंछ हिलाते
हाथ फिराने पर लेट हैं जाते
दरवाजे पर पहरा लगाते
इंतज़ार में आँख बिछाते

इतना सब वो कर जाते हैं
थोड़ा हम तुम भी कर लें क्या?
घृणा छोड़कर हाथ बढाकर
हम भी उनको अपना लें क्या?

  • अशोक कुमार पचौरी
    (जिला एवं शहर अलीगढ से)






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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Ankita chaturvedi said

Very good and imotional poetry makes me cry

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आपका सहृदय बहुत आभार

वेदव्यास मिश्र said

बहुत ही मानवीय संवेदना को झकझोरती स्वान यानि कुत्ते की वफ़ादारी, लाचारी,बेबसी और हमारी अमानवीय दृष्टकोण को उजागर करती हुई इक मासूमियत भरी रचना !! निश्चित ही बहुत कूछ सोचने पर उद्वेलित करती है..प्रेरित करती है !! नतमस्तक नमन आपको और आपके दृष्टकोण को !!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

आचार्य जी आपके स्नेह एवं उत्साहबर्धन के लिए कोटि कोटि प्रणाम एवं आभार!!

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