ऐ ज़िंदगी जीने देना ।
बहुत दर्द दिए है तूने,
अब तो जीने देना
ऐ ज़िंदगी जीने देना ।
कब तक सहूँ तेरे दिए दर्द,
अब तो जीने देना।
ऐ ज़िंदगी जीने देना ।
थक गई हूॅं तेरे दिए दर्द सहते - सहते,
अब तो सुकून से जीने देना ।
ऐ ज़िंदगी जीने देना ।
क्यों हर वक्त हराने की,
कोशिश करती है तु मुझे,
अब तो जीतने देना ,
अब तो जीने देना ।
ऐ ज़िंदगी जीने देना ।
तेरे दिए ये दर्द के घूंट बहुत पी लिए मैंने ,
अब तो खुशी का घूंट पीने देना
अब तो जीने देना,
ऐ ज़िंदगी जीने देना ।
( कवयित्री - रीना कुमारी प्रजापत)
लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल,शायरी,श्लोक,संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां,कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी,संस्कृत,बांग्ला,उर्दू,इंग्लिश,सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।
कृपया सुनिश्चित करें की रचना आपकी अपनी है - हमारा मानना है की हमारे कवियों, लेखकों या पाठकों द्वारा भेजी जाने वाली रचनायें उनकी खुद की स्वयं रचित होती हैं। अन्यथा की स्थिति में पुष्टिकरण के बाद रचना को भेजे जाने वाले पाठक के नाम से रखना है या नहीं यह निर्णय लिखन्तु ऑफिसियल काव्य टीम सुनिश्चित करती है।